Tuesday, September 30, 2008

किसी को इतना याद न कर

किसी के इतने पास जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये


किसी को इतना अपना बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे


किसी के इतने सपने देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आन्ख खुले तो बर्दाश्त हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने लगे


किसी को इतना प्यार कर
के बैठे बैठे आन्ख नम हो जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो जाये


किसी के बारे मे इतना सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये


किसी को इतना याद कर
कि जहा देखो वोही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये

No comments: