Thursday, June 12, 2008

कैसा हूं मै

कई दुखों के सैलाब निगलते
समुंदर सा हूं मैं
किनारे की तलाश में निकली
लहर सा हूं मैं
समुंदर में भटकी हुई
नाव सा हूं मैं
डूबती नाव में सवार
नाविक सा हूं मैं
एक सुख की बूंद को तरसती
धरती सा हूं मैं
पल पल सोचता हूं
क्या इन सब सा हूं मैं??
अनगिनत तकलिफ़ों को छुपाती
मुस्कुराहट सा हूं मैं


कवी - शून्य

No comments: